चिट्ठाजगत

भारत में व्याप्त वर्तमान भ्रष्टाचार पर चर्चा आजकल हर जगह होने लगा है, लोग आहें भर रहे हैं पर यह सुरसा की भांति अपना मुंह योजनों योजन फैलाते जा रहा है । सरकारी सेवक व राजनैतिज्ञ मिलजुल कर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कुटिलतम चाल चल रहे हैं और अनैतिक तरीके से बेदम धन उगाही कर रहे हैं । इन सब का प्रभाव व पीडा जनता भुगत रही है, मानवता को जार जार रोना पड रहा है । एक तरफ दाने दाने को मुहताज गरीब जनता है जिसे अपनी सही स्थिति सरकारी खातों में दर्ज कराने के लिए भी भष्टाचारियों को चारा डालना पड रहा है वहीं धन्ना सेठों का नाम इस सूची में दर्ज हो रहा है ताकि सरकारी योजनाओं का जमकर दोहन किया जा सके ।

विगत माहों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक भ्रष्ट देशों की सर्वेक्षण सूची जब आई तो देश के लगभग सभी समाचार पत्रों के संपादकीय पेजों पर इस संबंध में विचारकों के लेख नजर आये अभी कुछ दिनों पूर्व ही सीएमएस ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के द्वारा वर्ष 2007 की सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई है । यह रिपोर्ट बीपीएल परिवारों और ग्यारह आधारभूत सेवाओं के क्रियान्वयन के अध्ययन पर आधारित थी । इसका सार यह था कि भारत में संचालित कल्याण योजनाओं की सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए एक तिहाई गरीबों को रिश्वरत देनी होती है ।

छत्तीसगढ में पूर्व प्रधान मंत्री भारत रत्न राजीव गांधी के आदिवासी अंचलों में प्रवास की चर्चा जब भी होती है तब तब उनका यह कथन भी याद किया जाता है कि सरकार द्वारा प्रेषित सौ रूपये आदिवासियों तक मात्र अट्ठारह ही पहुंच पाते हैं । यह बात हमारे अतिभ्रष्ट सिस्टम के सच को उजागर करती है । इसमें सरकारी कर्मचारियों एवं राजनैतिज्ञों की सांठ गांठ सर्वविदित है । ऐसे कई उद्धरण हैं जिसे समय समय पर लिखकर, पढकर व सुनाकर हम अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं या यूं कहें कि इस महा दानव के सामने हाथ मलते और सिर धुनते हैं ।

राजनैतिक महत्वाकांक्षा के कारण हो रहे भष्टाचार एवं अनैतिक हथकंडों को उजागर करने के लिये बरसों पहले एक चरित्र को प्रस्तुत किया गया था उस शख्श नें हमें राजनैतिक भ्रष्टाचारिता के पहलुओं से परिचय कराया था । कालांतर में प्रतिनायकों के या खलनायकों के चरित्र को आदर्श मानने वालों नें इससे सीख ग्रहण किया कि धन व शक्ति मैकबैथी तरीकों से प्राप्त की जाती है । मैकबैथ विश्व के सामने सर्वप्रथम जन सामान्य के हृदय में नायकों पर केन्द्रित नाटकों के मिथक को तोडते हुए अपनी कहानी में प्रस्तुत हुआ था (हो सकता है कि इसके पूर्व भी कोई साहित्य उपलब्ध हो किन्तु हमें अंग्रेजी साहित्य की ज्यादा समझ नहीं है)


वर्तमान परिस्थिति में मैकबैथ हर जगह जीवंत है, राजनीति के लिए मैकबैथ कृति ही नहीं गीता का रूप ले रही है । इसके अंत से शिक्षा चाहे जो मिलती हो पर आज राजनीति में इसके अंतिम शिक्षा को छोडकर बाकी सब अनुकरणीय माना जा रहा है ।

चाटुकारिता, संप्रभु सत्ता की प्राप्ति के लिये कुटिल राजनैतिक दांवपेंच फिर सत्ता व शक्ति को सतत बनाये रखने, अपनी विलासिता व हर प्रकार की वासना की भूख को शांत करने के लिये अपनाये जाने वाले अनाचार व अत्याचार की कुत्सित कडियों पे कडियां राजनीति के आवश्यक अंग हो गए है । इन महापातकीय कृत्यों के दागों को खादी के धवल वस्रों में छिपाने व अंग अंग में व्याप्त पाप के सडांध दुर्गंध को दबाने के लिये अब सिर्फ अरब सागर जितने इत्र से काम नहीं चलने वाला अब तो संपूर्ण पृथ्वी के महासागरों जितना इत्र भी कम पडेगा ।

हिरणाकश्यपु, रावण व कंस ये सब इसी के उदाहरण हैं । आइये आलोचक सचिन अवस्थी जी के इस ब्लाग में राजनैतिक भ्रष्टाचारिता के ऐसे मैकबैथी पहलुओं पर चर्चा करें एवं इससे संबंधित विषयों पर अपना विचार यहां रखें ।

हम इस विषय पर अपना विचार प्रस्तुत करने वाले सभी साथियों का आहवान करते है कि वे इस ब्लाग में बतौर ब्लाग लेखक शामिल होवें एवं देश में यत्र तत्र सर्वत्र फैले इन मैकबैथों के चरित्रों से आस्था रूपी धूल को झाडे और उन्हें बेनकाब करें ।

संजीव तिवारी

3 comments:

शेरघाटी said...

भारत में व्याप्त वर्तमान भ्रष्टाचार पर चर्चा आजकल हर जगह होने लगा है, लोग आहें भर रहे हैं पर यह सुरसा की भांति अपना मुंह योजनों योजन फैलाते जा रहा है । सरकारी सेवक व राजनैतिज्ञ मिलजुल कर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कुटिलतम चाल .... पूरा पढे . . .

बस अभी पढ़ कर इधर आया हूँ.भाई तुमने बड़ों-बड़ों का कान-नाक काट कर रख दिया है.
जामे रहो भाई, जमे रहो.
हमर हालत तो हालत है.
तकनीक ज्ञान भी गज़ब.
खूब दुआ

दीपक said...

हम भ्रष्टाचार के मुकाम मे विश्व के ७४ नं के भ्रष्ट देश मे है !! यही सिलसिला चला तो सरताज हो जायेंगे ॥

Rebellious Indians said...

ओलम्पिक मे पदक आये न आये पर भ्रष्टाचार में जरूर हम अव्वल हैं....

Welcome

हम इस विषय पर अपना विचार प्रस्तुत करने वाले सभी साथियों का आहवान करते है कि वे इस ब्लाग में बतौर ब्लाग लेखक शामिल होवें एवं देश में यत्र तत्र सर्वत्र फैले इन मैकबैथों के चरित्रों से आस्था रूपी धूल को झाडे और उन्हें बेनकाब करें ! इस कम्‍यूनिटी ब्‍लाग की सदस्‍यता के लिये एवं इसमें लेख प्रकाशित करने के लिए हमें मेल करें - atulsinghania@gmail.com