अजीत जोगी एक ऐसा नाम है जो जितना अधिक विवादित रहा उतना अधिक प्रचलीत ,उनकी डिग्री और उनकी त्वरा स्वयमेव उनके विद्वता का परिचय देती है।छ्त्तीसगढ की राजनिती मे इस नाम के कारण अनेक खल-बली मची । कई बार केंद्रीय मंत्री रह चुके विद्याचरण शुक्ल ने इनके मुख्यमंत्री बनते ही कांग्रेस को अलविदा कह दिया ।हम तो डुबेंगे सनम मगर तुम्हे भी साथ ले डुबेंगे की तर्ज पर खुद भी नही जीतें और कांग्रेस को भी नही जीतने दिया ।फ़लतः ताज गरीबो के डाक्टर रमन सिंग के हिस्से आया और कांग्रेस को राजनितीक वनवास भोगना पडा।
अजीत जोगी का नाम समझौतावादी नही रहा शायद इसलिये अधिक विवादीत रहा । मुख्यतः व्यक्ती का व्यक्तीत्व इसी बात से प्रगट होता है कि आप किन-किन चीजो का विरोध करते है ।इसलिये अजीत जोगी एक व्यक्तीत्व बनकर उभरा और समझौतो की राजनिती मे विद्रोह का नया पुलक दिखाई दिया। इनके तीन साल की सक्रीय राजनिती ने अनेक नेताओ के बीस वर्षो से अधिक के राजनितीक वजुद को हिला दिया । कई बार केंद्रीयमंत्री रह चुके विद्याचरण शुक्ल इसका साक्षात प्रमाण है ।उन्हे उनके ही गढ राजिम मे एक लाख से अधिक वोटो से हराने का कारनामा अजीतजोगी जैसा कोई व्यक्तित्व ही कर सकता है ।इस हार के परिणामस्वरुप विद्याचरण को भी शरदपवार की पार्टी को अलविदा कहना पडा और वो कांग्रेसविरोधी से फ़िर कांग्रेसी हो गये।
विधायक खरीद-फ़रोख्त मामले मे बुरी तरह से उलझजाने के बाद उनके समर्थको को तनिक निराशा जरुर हुयी मगर जनता जानती है कि आज की राजनिती मे यह कर्मकाण्ड सभी संपादीत कर रहे है कोई परदे के पिछे है तो कोई परदे के सामनें ।जनता भी अब राजनिती मे चौबीस केरेट व्यक्तीत्व की अपेक्षा नही करती इसलिये दिगर नेताओ के बारह केरेट व्यक्तीत्व के मुकाबले यह अठठारह केरेट व्यक्तीत्व लोगो मे लोकप्रिय होने लगा ।फ़र्श से अर्श तक का सफ़र करने वाले जोगी जी मे साहस और दृढ संकल्प की कमी नही है इसलिये उन्होने रमन सिंग को ही चुनाव मे ललकार लिया साथ ही हाईकमान के आदेश की बात जोडकर यह भी सिद्ध कर दिया कि उनके अंदर एक चतुर कलेक्टर अभी भी जीवित है ।
अपने हर भाषण मे धाराप्रवाह मे छ्त्तीसगढी बोलकर जहा वो आम लोगो से जूडते है वहा तथाकथीत शिक्षीत लोगो को(जिन्हे छ्त्तीसगढी बोलने मे शर्म आती है) अपनी संस्कृती के सम्मान का संदेश भी भी दे देते है।अजीत जोगी साधारण नेताओ की परिपाटी से सर्वथा विपरीत त्वरीत निर्णय लेने वाले व्यक्तीत्व रहे और मेरा मानना है निर्णय लेना एक आवश्यक गुण है जो व्यक्ती जितनी जल्दी से निर्णय लेगा वह अपनी गलती भी उसी तेजी से सुधार सकता है ।पुर्व कलेक्टर होने की वजह से धरने-प्रदर्शनो की जमिनी हकिकत और खोखलापन उन्हे भलि-भांती ज्ञात था इसलिये उनके कार्यकाल मे धरने-प्रदर्शन के हथकंडे कुछ खास असर ना दिखा सकें।कलेक्टरी का असर भी था इसलिये दफ़्तरो मे यह नाम तनाव पैदा करता था परंतु वर्तमान सरकारी तंत्र को दुरुस्त करने के लिये ऐसा तनाव जरुरी है अन्यथा इसके आभाव मे विकास की कल्पना मात्र कल्पना रह जायेगी ।
युवाओ को प्रोत्साहित करनेवाले और नये चेहरो पर भरोसा करने वाले इस व्यक्तीत्व ने छ्त्तीसगढ मे अपनी छाप छोडी है और निश्चय ही इनमे एक कुशल लीडर के सारे गुण है ।साधारणतः नेता सिर्फ़ इलेक्टेड होते है जब्की आई.ए.एस अफ़सर सलेक्टॆड ।ये इलेक्टेड भी है और सलेक्टेड भी इसलिये मुझे इनका व्यक्तीत्व प्रभावी और रोचक लगा ।अजीत जोगी एक आम आदमी की संभावना ,इच्छाशक्ती और संकल्प का दुसरा नाम है।यह एक ऐसा आम आदमी है जिसने अपनी सारी सफ़लता अपने दम अर अर्जीत की है।उनके व्यक्तीत्व पर सटीक बैठती सुमन जी की इन पंक्तियो के साथ उनके इस जजबे को सलाम....
क्या हार मे क्या जीत मे ।
किंचीत भी भयभीत मे
स्वपन पथ की चाह में
यह भी सही वह भी सही
वरदान मागुंगा नही ।
दीपक शर्मा
लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा
2 years ago
2 comments:
दीपक जी..... जीतनेवाले कोई अलग काम नहीं करते..... वे हर काम अलग ढंग से करते है...... जोगी जी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व है.... जिन्हें अपनी महेनत, कार्यक्षमता पर भरोसा होता है वे कभी हार ही नहीं सकते............. मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है.... जय हिंद
जोगी नहीं ये अंधी है छ.ग का गाँधी है............ जय जोगी जी
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