Thursday, September 18, 2008

बिना नाक वाले पाटिल

Posted by Jayshree varma

गलियां जहां विरान और मोहल्ला है सुनसानजिन्दा इंसानों की बस्तियां बन गई शमशानकहीं आंख में नमीं थी, कहीं अश्क बही थीहूकुमत के आगे आज आम इंसान परेशानशैतानी बस्तियों से आया था कोई हैवानभारत की रानी हो गई फिर से लहूलुहानभोर में ना कोई शंख बजा ना शाम को आजानलहू बहा जिन धर्मों का रंग था उनका एक समानदेश ने हाल के वर्षों में सिलसिलेवार बम धमाके झेले हैं। जयपुर, बंगलुरु, अहमदाबाद और अब दिल्ली। आतंकवादी हमलों के मद्देनजर सरकार की ओर से कोई मुक्कमल तैयारी नहीं दिख रही जो लगातार हो रहे धमाकों से पता चलता है। पांच दिन बीतने के बावजूद अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। सियासत कमान्डो के बीच सुरक्षित है, आम आदमी के जान की किसी को कोई परवाह नहीं है। मैं पूछती हूं कि क्या आम आदमी का लहू इतना सस्ता है? अभी जो तमाशा हो रहा है और जांच का नाटक खेला जा रहा है कुछ दिन बाद सब भुला दिया जायेगा। और इस आंतरिक सुरक्षा की नाकामी को देखते हुए पाटिल पर निशाना लाजिमी है। जिसे सरकार ने गंभीरता से लिया। बम ब्लास्ट गंभीर समस्या है। ऐसे गंभीर मसले पर चर्चा में पाटिल को शामिल नहीं किया गया। यही नहीं, उस बैठक में कई मंत्रियों ने उनकी कार्यशैली पर नाखुशी जताई। इससे पहले भी लालू यादव उनकी शिकायत सोनिया गांधी से कर चुके हैं। आतंकवाद के प्रति इस सुस्त नजरिये का संप्रग को अगले चुनाव में खामियाजा भुगतना पड सकता है। लिहाजा सत्ता के गलियारे में पाटिल की विदाई के कयास लगाए जा रहे हैं। इससे बडा अपमान क्या हो सकता है ! इनकी जगह कोई ओर होता तो कब का इस्तीफा दे चुका होता। लेकिन बिना नाक वाले पाटिल को कोई फर्क नहीं पडता। इन्हें तो चुल्लु भर पानी में डूब मरना चाहिए। इन्हें मान-अपमान की जरा सी भी परवाह नहीं है। कांग्रेस अगर वास्तव में पाटिल को गृहमंत्री पद से हटाना चाहती है तो यह इस देश पर बहुत बडा उपकार होगा।शिवराज पाटिल एक असफल गृहमंत्री है। 2004 में इनके गृहमंत्री बनने के बाद ही देश में सबसे अधिक आतंकवादी हमले हुए है। 2004 से लेकर अब तक 12 जितने आतंकवादी हमले हुए है जबकि छोटे आतंकवादी हमलों की तो कोई गिनती ही नहीं हो सकती। शिवराज पाटिल के कार्यकाल से आतंकवाद देश के कोने-कोने में पहुंच गया। उनके कार्यकाल के दौरान हुए बडे हमलों पर गौर करें तो पता चलता है कि देश का एक भी बडा शहर आतंकवादी हमले से अछूता नहीं रहा। पाटिल मंत्रालय की सबसे बडी असफलता यह है कि सुरक्षा एजेंसी पूरी तरह विफल गई और एक भी हमले की इन सुरक्षा एजेंसियों को कानो-कान खबर नहीं हुई। इससे भी बडी असफलता तो यह है कि, अब तक उन जिम्मेदार लोगों को ढूंढने में वे सफल नहीं हो पाये। संसद पर 2001 में हुए हमले के केस में जिसे फांसी की सजा हुई है उस अफजल गुरु को फांसी देने में जो विलंब हो रहा है उसका जिम्मेदार भी पाटिल मंत्रालय ही है। डॉ। कलाम ने अफजल के फांसी की फाइल को 2003 में ही गृह मंत्रालय को भेज दिया था लेकिन उस फाइल को दबा दिया गया है जिसके जिम्मेदार पाटिल ही है।सवाल केवल उनकी अकर्मण्यता का नहीं है। उनके ड्रेस सेंस का जो विवरण है वह बेहद चौंकाने वाला है। शनिवार को विस्फोट से पहले कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में वह गुलाबी सूट में थे, विस्फोट के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए काले सूट में, और रात में घायलों को देखने जाते समय झक सफेद सूट में। नफासत बुरी चीज नहीं है, लेकिन त्रासवादियों के बीच यह आपकी संवेदनहीनता का भी सूचक है। जिस पर गृह सचिव यह कहकर जले में नमक छिडक रहे हैं कि हर हमले के बाद अनुभव बढता है। क्या आतंकवाद कोई प्रयोगशाला है, जिसमें हर हमले से सरकार सीख रही हैं? अपनी छवि की खास परवाह करने वाले गृहमंत्री अगर आतंकवाद को निर्मूल करने के बारे में भी सोचते, तो आज उनकी इतनी किरकिरी नहीं हो रही होती। अपने लिबास की उन्हें जितनी चिंता है, देश की सुरक्षा व्यवस्था की उतनी क्यों नहीं? यह हमारी सुरक्षा क्या खाक करेंगे। जिसकी किमत जनता अपनी जान गंवाकर चुका रही है।पाटिल की असफलताओं का ग्राफ बहुत बडा है लेकिन दिल्ली ब्लास्ट के बाद वे सबके आंख में किरकिरी बन गए है। कांग्रेस में ही उन्हें हटाने के लिए माहौल बना हुआ है जिसके चलते यह फैसला जल्द से जल्द हो जाना चाहिए और इन्हें घर रवाना कर देना चाहिए। ऐसे गृहमंत्री की देश को कोई जरूरत नहीं है।हमारे देश का गृहमंत्री कैसा होना चाहिए? जिसमें एक आग हो। जो ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता हो। पाटिल जैसा गृहमंत्री बिलकुल नहीं चलेगा। फीके-फीके मनमोहन सिंह को कडा रवैया अपनाना चाहिए। ऐसे गृहमंत्री को लात मार कर भगा देना चाहिए।इस देश की राजनीति के आगे मेरी बौनी सी कलम कुछ भी नहीं है, लेकिन ये तो वक्त ही बतलायेगा कि किसकी चोट ज्यादा है और किसकी कम है। ये राजनेताओं के छिपे खेल तो दब जायेंगे लेकिन मेरी कलम में अंगारों से भरी स्याही कभी नहीं सुखेगी।देश के सियासत में ऊंचे तख्त पर भेडिये ही भेडिये बिराजमान है। बात पगडी और टोपी की है। मेरी बोली कडवी जरुर है लेकिन यह समय की जरूरत है। राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रद्रोह की जंग जारी है। ये तो वक्त ही बतलायेगा कि किसको विजय मिलेगी।
न दोष किसी के देखो, न पोल किसी का खोलो...
स्वतंत्र के देश के नौजवानों, गांधी जी की जय बोलो...
जय हिंद
jayshree varma

1 comments:

दीपक said...

मै आपके साथ अपनी हा दर्ज कराता हुँ ॥ मनमोहन जी की इस सरकार ने रिकार्ड महंगायी,आतंकवाद ने बढोत्तरी यही हमे दिया है इन्हे तो अपनी सरकार बचानी है देश से इन्हे क्या?

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