Wednesday, September 24, 2008

हमको नेता बनना है

Posted by दीपक

छ्त्तीसगढ के चुनावी खबर को आँखे गडाकर पी जाने के बाद अचानक ब्रेनवेव आने लगा ,तरह-तरह के ख्यालात दिमाग मे आते रहे।उसमे से एक खयाल दिमाग की खुँटी से ऐसा लटका कि उसे निकालने के लिये ब्लाग की पेंचीस चलानी पड गयी।वह खयाल था नेता बनने का ।फ़ुर्ती के साथ रात मे बैठ कर भाषण लिखा सुबह होते ही कुछ भाषण सुनने वाले लोग ढुंढे और एक चबुतरे के उपर सनलाइट के नीचे नेता-नेता का खेल शुरु हो गया ।मेरा हाथ छुडाकर भागती हिम्मत का हाथ मैने जोर से पकडा और अविलंब बोलना शुरु किया ।

मेरे भोले-भाले छ्त्तीसगढी भाइयो और बहनो राजनिती के इस अखाडे मे हर चुनाव मे आप अपनी आस्था और विश्वास की विजयमाला एक के गले मे डालते हो और हर पांच साल बाद उसकी नालायकी से तंगा कर वही माला उसके गले से निकालकर दुसरे के गले मे डाल देते हो और नो आपशन होने के कारण यह माला सिर्फ़ दो गलो मे नाचती रहती है ।आपकी इस समस्या को हल करने के लिये लिजिये हमारा तीसरा गला प्रस्तुत है।इस बार आप यह निर्माल्य हमे अर्पित करे और गंगा कसम हम बहुत कुछ बदल देंगे क्योकि हमारी रणनिती ही ऐसी रहेगी कि चित भी अपनी पट भी अपनी और अंटा अपने बाप का ।
हम एक बात शुरु से ही स्पष्ट कर दे कि हमारी रुची मुफ़्त के चावल तेल और नमक बांटने की कदापि नही है ।आप मुफ़्त का चावल खाते है और उसे खाकर आपलोगो का हाजमा बिगड जाता है फ़िर आपको अनाप-शनाप मांगो के कैं दस्त होने लगते है ।आप मांगने लगते है बेरोजगारी भत्ता बढाओ ।आप ही बताइये भला ये भी कोई मांग हुयी ,कहिये की रोजगार बढाओ और आप कहते है बेरोजगारी भत्ता बढाओ याने कि बेरोजगार बढाओ ।इसिलिये हम मुफ़्तखोरी की आदत को बढावा ना देते हुये आपको काम देंगे ज्यादा से ज्यादा काम और आपको सब कुछ मिलेगा मगर पसीने की किमत पर।मुफ़्त आपको मिलनी चाहिये शिक्षा क्योकि शिक्षा लोकतंत्र का आधार है और यहा आलम ये है कि अपनी आधी आबादी अनपढ है फ़िर लोकतंत्र का दिया यहा कैसे जलेगा । और हमारी अभिलाषा आलु-गोभी की तरह शिक्षाकर्मी भरती करने की भी नही है क्योकि हम मानते है शिक्षा और शिक्षक समाज का आधार होते है इसिलिये उसके स्तर को बनाये रखने के लिये आई.ए.एस. के स्तर की परीक्षा लेकर शिक्षक का चयन किया जायेगा उन्हे काम भी ज्यादा दिया जायेगा और तन्खवाह भी तब मास्टरगिरी को फ़िर से सम्मान मिलेगा और अमेरीका को सेवा दे रहे हमारे भारतीय प्रतिभाशाली लोग देश का रुख करेंगे ।

हमारा पुरा इरादा राजनिती के पुरे प्रोफ़ार्मे को सुधारने का भी है इसिलिये अगर हमारी सरकार आ गयी तब हम सबसे पहला काम यही करेंगे कि चमचागिरी को राष्ट्रीय अपराध घोषित कर दिया जायेगा, नेताओ को आटो मे आने-जाने की आज्ञा दे दी जायेगी और इसके दुरगामी परिणाम होंगे अब आप कहेंगे आटो के कारण उन्हे नियत जगहो पहुंचने मे विलंब होगा तो मै आपसे पुछता हुँ कि अभी लालबत्ती कार होकर भी कौन सा वो समय पर उपस्थित हो रहे है ,दंगा फ़साद वाली जगहो मे ये अपना स्वार्थ साधने मौके पर पहुंच जाते है और वहा का माहौल खराब कर देते है आटो से जाया करेंगे तो देर से पहुचेंगे और मामला बिना विवाद के रफ़ा-दफ़ा हो जायेगा ।आटो मे आने जाने से देश का कुछ तेल तो बचेगा ।वैसे भी तेल दिनो-दिन महंगा होता जा रहा है और नेता दिनो-दिन सस्ते इसिलिये अब तेल बचाना ज्यादा जरुरी है ।फ़िर ये भाषण पे भाषण पेल कर देश की हवा खराब कर देते है इसिलिये पांच साल मे इन्हे सिर्फ़ पैतालीस भाषण करने की आजादी रहेगी ।आरक्षण वाले नेताओ को पचास की पात्रता होगी । तब ये सोच-समझकर बोला करेंगे अभी तो फ़रमाते रहते है कि नक्सलीयो को लोकतंत्र की मुख्यधारा से जोडा जाये उन्हे बैलेट की शक्ती समझनी चाहिये वैगेरह ।देश के वीर जवान सीमा पर नक्सलीयो से लडते है सीने मे गोली खाते है और ये भाषण छोडते रह्ते है इसके समाधान के लिये हमने एक रास्ता खोजा है नेता का एक परिजन सेना मे होगा और उसकी पोस्टींग बार्डर मे होगी जब नक्सली की एक बुलेट उसके परिजन के जिस्म को छुकर निकलेगी और अपना खुन बहेगा तब ससुरा सारा बेलेट भाग जायेगा और यही चिल्लाने लगेगा बुलेट का जवाब बुलेट से । इन जैसे को हम ऐसे ही नियम बनाकर ठीक कर देंगे इनके भरोसे चले तो ससुरे सारे चंबल के डाकु मंत्री बन जाये।लोकतंत्र है इसलिये हम अपने विरोधियो को विरोध करने का पुरा मौका देंगे खुद आटो मे घुमेंगे पर उन्हे हेलीकाप्टर लाकर देंगे।ना ना आप खुश ना हो हम बडे दरियादिल नही बहुत बडे कुटनितीज्ञ है ,छ्त्तीसगढ का इतिहास रहा है कि हेलीकाप्टर या तो पहाड से टकराकर टुट गया है या कही जाकर गुम गया है सो इसी अनुभव के भरोसे हम एक बार मे किस्सा ही खतम कर देंगे।

हम यह भी महसुस करते है कि आटोमेटीक प्रमोशन ने हमारे अफ़सरो को काफ़ी सुस्त और आरामतलब बना दिया है इसिलिये इस पद्धती को बदल कर हर अफ़सर को १०० गाँव दे दिये जायेंगे और गांव की उन्नती के आधार पर उनका मानदेय घटता और बढता रहेगा ।इन्हे विदेश तो हम कत‍इ नही जाने देंगे ।हमारे देश मे अच्छे अफ़सरो की कमी है क्या? जो इन्हे कुछ सीखने विदेश जाना होगा ।मगर बेचारे क्या करे लोकतंत्र की दुर्घटना ने किसी अंगुठा छाप को कही का मुख्यमंत्री बना दिया और इनके चमकिले हस्ताक्षर अंगुठे के निशान के नीचे दब गये।हम ऐसी दुर्घटना यहा नही चाहते इसिलिये किरण बेदी जैसे अफ़सरो को यहा बुलाकर अपना ज्ञान और साहस बढाते रहेंगे भई जिसने नो पार्किंग से इंदिरा गांधी की कार हटा दी उसमे कुछ बात तो होगी तो उस और उस जैसी सारी बात का फ़ायदा हम उठायेंगे।स्वास्थ्य और कानुन की दलाली बंद करवा दी जायेगी ।डाक्टर और वकिल सरकारी मुलाजीम माने जायेंगे और उन्हे निजी प्रेक्टीस की अनुमति नही होगी ।डाक्टर और वकिल को परीक्षा पास करते ही मानदेय मिलने शुरु हो जायेंगे ।झुठ बोलने वाले वकिल और अपनी तोंद बाहर लटकाकर घुमने वाले डाकटर की डिग्री छीन ली जायेगी ।आप ही कहिये जिस से अपनी तोंद नही सम्हलती वो दुसरे का मोटापा क्या खाक कम करेंगे ।मुजरिमो से ब्लाग लिखवाया जायेगा ससुरा सारा ध्यान ब्लाग मे रहेगा तो अपराध कम हो जायेंगे ।

हम साहित्य और हिन्दी के प्रसार मे भी जोर देगे मगर हिन्दी बचाओ समिती के सारे सदस्य को अंग्रेजी जानना आवश्यक होगा ।अब आप कहेंगे क्यो ? तो वो इसलिये कि जब आपको फ़र्राटेदार अंग्रेजी और हिन्दी दोनो आयेगी तब आप कहेंगे कि मुझे दोनो भाषा आती है मगर मुझे हिन्दी श्रेष्ठ लगती है तब इस बात का वजन रहेगा और लोग आपसे सहमत होंगे ।अभी हालात ऐसे है कि आपको हिन्दी छोड कुछ और आता नही तो आप अपनी कमजोरी छुपाने हिन्दी बचाओ हिन्दी बचाओ चिल्लाते फ़िरते है ।ऐसे नियम बनाने से भीड हटेगी और हिन्दी बगैर बचाये ही बच जायेगी।

भाषण लंबा हो रहा है इसलिये इस ट्रेलर पर भरोसा करके आप मुझे जीताइये और मै आपको पुरी पिक्चर दिखाउंगा । हमने अब लोगो की तरफ़ देखा भीड काफ़ी बढ गयी थी हम ताली की आशा कर रहे थे मगर अंडे टमाटर बरसने लगे ।भीड से एक चिल्लाया ये तो तानाशाही है। हमने कहा हा हम तानाशाही करके लोकतांत्रीक काम करने का माद्दा रखते है यहा तो बाकी लोग लोकतंत्र के सहारे तानाशाही कर रहे है ।उन्हे जो कुछ बरसाना था उन्होने बरसा दिया हम उसे बिनकर बाजार मे बेच आये कुछ रुपये इकठ्ठे हो गये ।

मिडील क्लास आदमी होने के कारण पांच हजार से उपर की गिनती मुझे नही आती इसलिये हमने योजना बना ली है कि बिना पैसे खर्च करे चुनाव लडेंगे कोयले से सारी दिवालो पर अपने नारे लिख देंगे सुबह से अपनी साइकिल लेकर जनसंपर्क किया करेंगे।आलु टमाटर के कुछ पैसे मिले है उससे सफ़ेद रंग खरीद लेंगे और शहर और गाव की सारी भैसो के पीठ पर अपना संदेश गोद देंगे जब केटवाक करते पुरा ट्रेफ़ीक जाम करके ये अपनी पुंछ हिलायेगी तो अपना इलेक्शन केंपेन हो जायेगा । भैसे अगर कम पडी तो कुछ
भैसें ताउ से उधार ले लेंगे । इस ईमानदारी से हम अगर चुनाव जीते तभी हम ईमानदारी से काम कर सकेंगे और अगर हार गये तो कौन सा अपना पैसा जा रहा है ।रह गया सवाल नाक का तो अपनी नाक छिपकली के दुम की तरह है कुछ दिनो मे फ़िर उग आयेगी।

चित्र साभार त्रयंबक जी के ब्लाग से
दीपक शर्मा

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

आप चुनाव मॆ उतरिए हम आप को वोट जरूर देगें;)

बहुत बढिया भाषण है।बधाई।

Awasthi Sachin said...

भाई आपने अति उत्तम लिखा है....
साधूवाद

Unknown said...
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